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23 Dec 2023 · 1 min read

एक तो धर्म की ओढनी

एक तो धर्म की ओढनी
ऊपर से राजनीतिक छोंक
.
दोहरी शक्ति का समावेश
मिलते नहीं कहीं अवशेष,
.
तोड़ कर अपनी भाव भंगिमा,
महावीर गौतम भंगनवान हुए.
.
बिछा कर बिसात पयादे बिठा दिये,
रहेगा क्षमताओं में अंतर, कह गये,
.
मन की शक्तियां, साधन साधक
ध्यान धारणा समाधि पर खत्म हुई.
.
अहिंसा सत्य पंचशील, करुणा, प्रेम
मानवीय मूल्य सहज भाव प्रकृति हो गई.
.
क्षत विक्षिप्त शरीर, स्वाभाविक रोग,
भूख प्यास लडाई वजूद की लडते रहे.
.
संयम रख, यम, नियम, प्राणों की साधना,
सब के अपने अपने कर्म छोड़े व्यर्थ कामना
.
(महेन्द्र सिंह मनु)

Language: Hindi
224 Views
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