एक तूही दयावान
निर्मल काया, अदभुत माया, अनुपम तेरा नाम।
एक तूही दयावान, हे जननी, तेरे सिवा ना कोई आन।।
भला बुरा, जो भी हो बेटा होता, तेरा प्राण
माँ तेरी, सेवा से बढ़कर और ना कोई काम
जो करते गुनगान तेरी, होती उनकी कल्याण
ये दुनिया गाये, हरपल तेरी महिमा का गान।
एक तूही दयावान, हे जननी, तेरे सिवा ना कोई आन।।
लगता है हर घड़ी सुहावन, माँ तेरी दरबार
भक्त हजारों आके देख, तेरी शरणों में ठार
सब करते जय जयकार, तू करती है भव से पार
तेरी दया से सभी भिखारी हो जाए धनवान।
एक तूही दयावान, हे जननी, तेरे सिवा ना कोई आन।।
देती है आशीष माँ, जो चरणों में शीश झुकता है
माँ तेरे भजनों सा गहना और ना कोई भाता है
तेरा भजन जो गाता है, वो मनवांछित फल पाता है
है अज्ञानी, बेटा तेरा, दे “बसंत” को ज्ञान।
एक तूही दयावान, हे जननी, तेरे सिवा ना कोई आन।।
✍️ बसंत भगवान राय
(धुन: चांदी जैसा रंग है तेरा)