एक तानाबाना बुन कर देखो न
एक तानाबाना बुन कर देखो न
एक तानाबाना बुनकर देखो न
मेरे आँगन में तुमने क़दम रखा
अब थोड़ा चलकर देखो न
तुम मुझसे गुज़र कर देखो न
मेरी दुनिया बस छोटी सी है
मुझ से होकर तुम तक ही है
मेरी दुनिया में आ कर देखो न
तुम इसे सज़ा कर देखो न
हमने जीवन में जो सपने बुने
रस्ते में रुक कर जो गुहर चुने
उन मोती से जो माला बने
तुम धागा बन कर देखो न
मैं बैठा हूँ प्यासा कब से
भूखा हारा खारा कब से
अपनी मीठी मुस्कानों से
तुम हाला बन कर देखो न
तुम आयी हो संध्या सी है
मन में मेरे जिज्ञासा भी है
मन के अंदर के अंधेरे में
तुम दीप जला कर देखो न
तुम मुझसे लिपटकर देखो न
तुम मुझमें सिमट कर देखो न
मैं थोड़ा और सुलझ जाऊँ
तुम मुझसे उलझ कर देखो न
यतीश ५/११/२०१७