एक झूठा और ब्रह्म सत्य
एक बात और है…!
और एक बात है…!
बात इतनी ही है
मैं उपदेश दे रहा हूँ।
और स्वीकार करना
न करना आपका काम।
यह झूठा भी है
और ब्रह्म के जैसे
साकार और निराकार
अटल सत्य भी।
दुनिया का सबसे
सरल काम है
‘बात करना’ ।
और
दुनिया का सबसे
कठिन काम है
‘बात करना’ ।
इन दोनों के मध्य
ही मानव जीवन
विस्तार और विनाश
दोनों तय करता।
मानवीय सृष्टि
इसके मध्य ही
संकीर्ण और विस्तृत।
मैं न उपदेष्टा हूँ
न मनीषी चिंतक
न और अन्य प्रजाति
का श्रेष्ठ मनुज।
किन्तु इतना प्रत्यक्ष है
कवितालोक उद्भव
भी इन्हीं बातों से हुआ।
यह सत्य है कि संसार
बात करता है और
वो पहले वर्ग की।
और संसार का
विशिष्ट वर्ग
बात करता है
दूसरे वर्ग की।