*एक झलक प्रेम को सब तरसे !
*घबराहट में यूँ न शर्माना,
जमाने की नज़र बड़ी जालिम है,
*हर हरकत पर नज़र रखती है,
तकरार में थोड़ा ज्यादा,
शर्माने की हरकतों पर
हर अंदाज़ में गवाही बनती है,
जुर्म है प्यार
जमाने की नज़र में,
पहले जान लेते है,
फिर फूल “उनकी याद” में अर्पित करते है,
*एक झलक प्रेम को महेंद्र तरसे,