एक जोकर की जिंदगी
जीवन है सबका रंगमंच,
इसे हँसकर ही निभाना है।
आएगी विपदा कितनी पर,
हँसकर पार ही पाना है।
नहीं किसी से रखना द्वेष,
हमें जोकर सा बन जाना है।
अपने दुःख को भूल सदा,
दूजों को सदा हँसाना है।
नहीं समझ में आए सबको,
इस जोकर के मन की बात।
बाँटे सबमें खुशियाँ जो,
क्यों रोता है होने पर रात।
शायद ही उसके मन को,
जग में कोई समझ पाए।
देता है जो खुशियाँ सबको,
उसको भी खुशियाँ मिल जाए।
हो जाए ऐसा काम अगर,
खुशियों में रहें जो ए जोकर।
हर तरफ माहौल हो खुशियों का,
हर जगह दिखे जोकर जोकर।
मजाकिया बनकर जो खुशियां बाँट देते हैं ।
अक्सर अपनी तन्हाई में चुपचाप ही वो रोते हैं ।
देने को उनको खुशियाँ क्या मौजूद नहीं कोई दुनियाँ में ।
उनकी भी ख्वाहिश हो पूरी खुशहाल रहे वे दुनियाँ में।
✍?पंडित शैलेन्द्र शुक्ला
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