Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 May 2024 · 1 min read

एक ज़माना था …..

एक ज़माना था जब चिट्ठी-पत्री आती थी,
तब पिय के मन की बात समझ में आती थी।।
एक ज़माना था जब टेलीफोन पर गुफ़्तगू होती थी,
तब बात-बात में दिल की कली खिल जाती थी।।
एक ज़माना था जब दूरदर्शन की बड़ी चाहत थी,
तब रामायण व महाभारत की धारावाहिक आती थी।।
एक ज़माना था जब किसानों की चर्चा होती थी,
तब उनकी समस्याएँ घर-घर दिखाई जाती थी।।
एक ज़माना था जब नानी कहानी सुनाती थी,
तब दूर देश की परियों की बात हमको भाती थी।।
एक ज़माना था जब डाकिए की गाँवभर से यारी थी,
तब मनीआर्डर को देख देख माँ फूली नहीं समाती थी।।
एक ज़माना था जब घर से अर्थी उठाई जाती थी,
तब गाँव के हर घर की आँखें नम हो जाती थी।।
एक ज़माना था जब माँ साँकल नहीं लगाती थी,
तब दिन दहाड़े किसी घर की नहीं लुटाई होती थी।।
एक ज़माना था जब आठ आने की दो कुल्फियां आती थी,
तब भाई-भाई में आपस में कभी तकरारें न होती थी ।।

102 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Nitesh Shah
View all
You may also like:
साक्षात्कार एक स्वास्थ्य मंत्री से [ व्यंग्य ]
साक्षात्कार एक स्वास्थ्य मंत्री से [ व्यंग्य ]
कवि रमेशराज
केंद्र की सत्ता में वापसी के लिए पंजा-पार्टी को
केंद्र की सत्ता में वापसी के लिए पंजा-पार्टी को "विदूषक" व "
*प्रणय*
माइल है दर्दे-ज़ीस्त,मिरे जिस्मो-जाँ के बीच
माइल है दर्दे-ज़ीस्त,मिरे जिस्मो-जाँ के बीच
Sarfaraz Ahmed Aasee
पिता
पिता
Swami Ganganiya
🌷*
🌷*"आदिशक्ति माँ कूष्मांडा"*🌷
Shashi kala vyas
* पत्ते झड़ते जा रहे *
* पत्ते झड़ते जा रहे *
surenderpal vaidya
कह दो!
कह दो!
©️ दामिनी नारायण सिंह
वृक्ष की संवेदना
वृक्ष की संवेदना
Dr. Vaishali Verma
गर्व हो रहा होगा उसे पर्वत को
गर्व हो रहा होगा उसे पर्वत को
Bindesh kumar jha
हिंदी दोहे -कदंब
हिंदी दोहे -कदंब
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हर मंदिर में दीप जलेगा
हर मंदिर में दीप जलेगा
Ansh
जी करता है , बाबा बन जाऊं – व्यंग्य
जी करता है , बाबा बन जाऊं – व्यंग्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अपना सा नाइजीरिया
अपना सा नाइजीरिया
Shashi Mahajan
सत्य
सत्य
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
मुस्कुरा दीजिए
मुस्कुरा दीजिए
Davina Amar Thakral
कोई तो है जो मुझे झरोखे से झांकता है,
कोई तो है जो मुझे झरोखे से झांकता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*अध्याय 6*
*अध्याय 6*
Ravi Prakash
बुझा दीपक जलाया जा रहा है
बुझा दीपक जलाया जा रहा है
कृष्णकांत गुर्जर
"दोषी कौन?"
Dr. Kishan tandon kranti
4347.*पूर्णिका*
4347.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
धोखा वफा की खाई है हमने
धोखा वफा की खाई है हमने
Ranjeet kumar patre
#करना है, मतदान हमको#
#करना है, मतदान हमको#
Dushyant Kumar
गुजरा कल हर पल करे,
गुजरा कल हर पल करे,
sushil sarna
वैवाहिक चादर!
वैवाहिक चादर!
कविता झा ‘गीत’
बहुत सी बातें है, जो लड़के अपने घरवालों को स्पष्ट रूप से कभी
बहुत सी बातें है, जो लड़के अपने घरवालों को स्पष्ट रूप से कभी
पूर्वार्थ
अहोभाग्य
अहोभाग्य
DR ARUN KUMAR SHASTRI
औरते और शोहरते किसी के भी मन मस्तिष्क को लक्ष्य से भटका सकती
औरते और शोहरते किसी के भी मन मस्तिष्क को लक्ष्य से भटका सकती
Rj Anand Prajapati
आप और हम जीवन के सच ..........एक प्रयास
आप और हम जीवन के सच ..........एक प्रयास
Neeraj Agarwal
उदासी की यही कहानी
उदासी की यही कहानी
Suryakant Dwivedi
जो अच्छा लगे उसे अच्छा कहा जाये
जो अच्छा लगे उसे अच्छा कहा जाये
ruby kumari
Loading...