एक छोटी सी ही तकरार लिए बैठे हैं
ग़ज़ल
एक छोटी सी ही तकरार लिए बैठे हैं।
हाथ में अपने वो तलवार लिए बैठे हैं।।
अपने होठों पे हम इज़हार लिए बैठे हैं।
और वो है कि बस इन्कार लिए बैठे हैं।।
इस तरह से नज़रअंदाज़ हमें करते अब।
इक पुराना सा वो अख़बार लिए बैठे हैं।।
प्यार के बोल तो होठों से निकलते ही नहीं।
अपने होठों पे वो अंगार लिए बैठे हैं।।
कर चुके कब का ये सर ख़म तो “अनीस” अपना हम।
और बस वो है कि दस्तार लिए बैठे हैं।।
– अनीस शाह “अनीस”