एक छोटी सी रचना आपसी जेष्ठ श्रेष्ठ बंधुओं के सम्मुख
एक छोटी सी रचना आपसी जेष्ठ श्रेष्ठ बंधुओं के सम्मुख
घटा सुहानी सी छाई है तुम चले आओ।
प्यार की शम्मा जलाई है तुम चले आओ।।
प्यास धरती की मिटा कर चली गई बारिश।
न इतना देर लगाओ कि तुम चले आओ।।
उदासियो में, अंधेरों में, कट रहा ये सफर।
आश के दीप जलाने को तुम चले आओ।।
सितम कब तक सहे आखिर तेरी जुदाई का।
बंदिशे तोड जमाने कि तुम चले आओ।
स्वरचित
निकुम्भ के कलम से…….