Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Oct 2022 · 1 min read

एक चेहरा मन को भाता है

एक उजले उजले गीतों सा
एक चेहरा मन को भाता है !

यूं चलती फिरती राहों में ,
कोई शख्स घर कर जाता है !!

जब उनसे मिलन हो जाता है,
मन ‘मन ही मन’ मुस्कुराता है !

कुछ बातें मन को भाती हैं,
कुछ यादें मन को भाती हैं !!

पतझड़ के मौसम में जैसे,
मानो बसंत आ जाता है !

अंधकार सी निशा को जैसे
भोर – सुबह कर जाता है !!

एक रोते छोटे बच्चे को ,
मां का आंचल सुहाता है!

जब गम के बादल आते हैं
तो बारिश आ बन जाता है !!

एक उजले उजले गीतों सा,
एक चेहरा मन को भाता है !

यूं चलती – फिरती राहों में ,
कोई शख्स घर कर जाता है !!

✍कवि दीपक सरल

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 594 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जिसे हम हद से ज्यादा चाहते है या अहमियत देते है वहीं हमें फा
जिसे हम हद से ज्यादा चाहते है या अहमियत देते है वहीं हमें फा
रुपेश कुमार
यह मौसम और कुदरत के नज़ारे हैं।
यह मौसम और कुदरत के नज़ारे हैं।
Neeraj Agarwal
दीवानों की चाल है
दीवानों की चाल है
Pratibha Pandey
सारी दुनिया समझ नहीं सकती ,
सारी दुनिया समझ नहीं सकती ,
Dr fauzia Naseem shad
तुम हकीकत में वहीं हो जैसी तुम्हारी सोच है।
तुम हकीकत में वहीं हो जैसी तुम्हारी सोच है।
Rj Anand Prajapati
प्रेम कोई भी कर सकता है  पर हर कोई निभा नहीं पाता
प्रेम कोई भी कर सकता है पर हर कोई निभा नहीं पाता
पूर्वार्थ
हारो बेशक कई बार,हार के आगे झुको नहीं।
हारो बेशक कई बार,हार के आगे झुको नहीं।
Neelam Sharma
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
प्यार समर्पण माँगता,
प्यार समर्पण माँगता,
sushil sarna
जोश,जूनून भरपूर है,
जोश,जूनून भरपूर है,
Vaishaligoel
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
Santosh kumar Miri
ଅନୁଶାସନ
ଅନୁଶାସନ
Bidyadhar Mantry
" इंसान "
Dr. Kishan tandon kranti
सत्य की खोज अधूरी है
सत्य की खोज अधूरी है
VINOD CHAUHAN
!! पुलिस अर्थात रक्षक !!
!! पुलिस अर्थात रक्षक !!
Akash Yadav
आखिर कब तक ऐसा होगा???
आखिर कब तक ऐसा होगा???
Anamika Tiwari 'annpurna '
जल का अपव्यय मत करो
जल का अपव्यय मत करो
Kumud Srivastava
वक़्त आज तेजी से बदल रहा है...
वक़्त आज तेजी से बदल रहा है...
Ajit Kumar "Karn"
बच्चे
बच्चे
Kanchan Khanna
चाचा नेहरू
चाचा नेहरू
नूरफातिमा खातून नूरी
एक
एक
*प्रणय*
तप रही जमीन और
तप रही जमीन और
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हिंदी - दिवस
हिंदी - दिवस
Ramswaroop Dinkar
সেই আপেল
সেই আপেল
Otteri Selvakumar
धार तुम देते रहो
धार तुम देते रहो
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
*सच कहने में सौ-सौ घाटे, नहीं हाथ कुछ आता है (हिंदी गजल)*
*सच कहने में सौ-सौ घाटे, नहीं हाथ कुछ आता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
ओ! महानगर
ओ! महानगर
Punam Pande
जिगर धरती का रखना
जिगर धरती का रखना
Kshma Urmila
शहर के लोग
शहर के लोग
Madhuyanka Raj
मेरी आँखों से भी नींदों का रिश्ता टूट जाता है
मेरी आँखों से भी नींदों का रिश्ता टूट जाता है
Aadarsh Dubey
Loading...