Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Feb 2022 · 1 min read

एक चींटी का हौसला

एक
जमीन पर रेंगती
छोटी सी चींटी का
हौसला तो देखिए
न रास्ता है
न कोई मंजिल पर
चली जा रही
न जाने क्या खोजती हुए
बिना खौफ के
बेफिक्र जबकि
किसी भी क्षण
किसी के पांव के नीचे आकर
कुचलना ही उसकी नियति है।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
1 Like · 238 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Minal Aggarwal
View all
You may also like:
" पीती गरल रही है "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
अब मत खोलना मेरी ज़िन्दगी
अब मत खोलना मेरी ज़िन्दगी
शेखर सिंह
एक अलग ही दुनिया
एक अलग ही दुनिया
Sangeeta Beniwal
"वरना"
Dr. Kishan tandon kranti
*रामपुर रजा लाइब्रेरी की दरबार हॉल गैलरी : मृत्यु का बोध करा
*रामपुर रजा लाइब्रेरी की दरबार हॉल गैलरी : मृत्यु का बोध करा
Ravi Prakash
"माँ का आँचल"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
4195💐 *पूर्णिका* 💐
4195💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कब तक बरसेंगी लाठियां
कब तक बरसेंगी लाठियां
Shekhar Chandra Mitra
झूठी आशा बँधाने से क्या फायदा
झूठी आशा बँधाने से क्या फायदा
Dr Archana Gupta
नाजुक -सी लड़की
नाजुक -सी लड़की
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
सियासत में आकर।
सियासत में आकर।
Taj Mohammad
Readers Books Club:
Readers Books Club:
पूर्वार्थ
काश हम भी दिल के अंदर झांक लेते,
काश हम भी दिल के अंदर झांक लेते,
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
..
..
*प्रणय*
वो जो मुझको रुलाए बैठा है
वो जो मुझको रुलाए बैठा है
काजू निषाद
यादों की किताब पर खिताब
यादों की किताब पर खिताब
Mahender Singh
पहली बारिश..!
पहली बारिश..!
Niharika Verma
*अहम ब्रह्मास्मि*
*अहम ब्रह्मास्मि*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मेरा दिल हरपल एक वीरानी बस्ती को बसाता है।
मेरा दिल हरपल एक वीरानी बस्ती को बसाता है।
Phool gufran
ज़िंदगी हम भी
ज़िंदगी हम भी
Dr fauzia Naseem shad
बहुत आसान है भीड़ देख कर कौरवों के तरफ खड़े हो जाना,
बहुत आसान है भीड़ देख कर कौरवों के तरफ खड़े हो जाना,
Sandeep Kumar
ऋतुराज
ऋतुराज
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
ख्वाबों से परहेज़ है मेरा
ख्वाबों से परहेज़ है मेरा "वास्तविकता रूह को सुकून देती है"
Rahul Singh
जमाने में
जमाने में
manjula chauhan
कलम व्याध को बेच चुके हो न्याय भला लिक्खोगे कैसे?
कलम व्याध को बेच चुके हो न्याय भला लिक्खोगे कैसे?
संजीव शुक्ल 'सचिन'
कुछ दर्द ऐसे होते हैं
कुछ दर्द ऐसे होते हैं
Sonam Puneet Dubey
अन्तिम स्वीकार ....
अन्तिम स्वीकार ....
sushil sarna
'बस! वो पल'
'बस! वो पल'
Rashmi Sanjay
यथार्थवादी कविता के रस-तत्त्व +रमेशराज
यथार्थवादी कविता के रस-तत्त्व +रमेशराज
कवि रमेशराज
वर्तमान
वर्तमान
Shyam Sundar Subramanian
Loading...