एक घर मे दो लोग रहते है
एक ही घर में दो लोग
एक ही घर में
रहते दो लोग
लक्षित एकांत का
चरम परिवेश।
हास्य व्यंग से दूर
एक रूटीन में चलते
एकाकी जीवन को
अपने तरीके से जीते।
एक सुबह निकलता
शाम को वापसी थी
दूसरा शाम को
निकलता सुबह आने
की बेबसी थी।
बड़े मुश्किल से
दोनों की भावनात्मक
मुलाकात होती
किसी को उनके बारे में
कुछ पता ही नहीं।
आज अचानक
उनके आवास के पास
भीड़ देखा
अनिष्ट की आशंका
से भयभीत हो
वहां पहुंचा।
दो लाशे उनके घर
से निकाल कर
एम्बुलेंस में लादी जा रही थी
उस दिन ही पता लगा
कि दोनों कि शादी हुई थी।
कुछ दिन पहले ही
वे दोनों अपने
अपने सपने को जीने
इस महानगर में आये थे
महानगरीय व्यवस्था में
ढलने का अथक प्रयास
अनवरत कर रहे थे
कम समय में
सम्पूर्णता की चाहत लिए
वे मौलिकता से दूर
बस एक कृत्रिम
जीवन ही तो जी रहे थे
दिन रात खट रहे थे।
इसी क्रम में शायद
निर्मेष वे अवसादित
होकर जीवन की जंग
हार गये थे
असमय महानगरीय
व्यवस्था का शिकार हो
अपने परिजनों को
विलखता छोड़ गये थे।
नेपथ्य में इस
विकासशीलता को अति
आतुर सभ्य समाज पर
तमाचा मारते हुए
एक अनुत्तरित प्रश्न छोड़ गये।
निर्मेष