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22 Jul 2023 · 1 min read

एक गुनगुनी धूप

एक अरसे की लम्बी रात्रि
निराशा के गहन अंधकार
व ठिठुरती शीत के बाद
आज कुछ मद्धिम सी रोशनी
सुबह की सुगबुगाहट दे रही है,
एक गुनगुनी धूप का टुकड़ा
मेंरे मन के आंगन में फैल रहा है,
लगता है प्रतीक्षा पूरी हो गई
सुप्रभात व सूर्योदय की ।
क्या इस मन उपवन में
फिर से चिडियाँ चहकेंगी ?
क्या फिर से कोई सुवास
रोम-रोम स्पन्दित कर
प्राणों को नई उर्जा देगी ?

Language: Hindi
328 Views
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