एक गिलहरी
मेरे घर में एक गिलहरी,
रोज सुबह आ जाती है।
फुदक-फुदककर करे डांस वो
मन को बहुत लुभाती है।।
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बच्चों से वह घुली-मिली है।
बालकनी में खूब हिली है।।
मौका पाकर पीठ चढ़े वह,
पलक झपक छुप जाती है।
फुदक-फुदककर करे डांस वो
मन को बहुत लुभाती है।।
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छोटी चंचल है वो प्यारी।
दुनिया से दिखती है न्यारी ।।
टिक-टिक स्वर में कुछ है गाती,
गायन मृदुल सुनाती है।
फुदक-फुदककर करे डांस वो
मन को बहुत लुभाती है।।
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खगवृंदों की सखी सहेली।
करती है वो नित अठखेली।
रखा हुआ जो दाना- दुनका
मिनटों में खा जाती है।
फुदक-फुदककर करे डांस वो
मन को बहुत लुभाती है।।
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अटल मुरादाबादी
९६५०२९११०८