एक ग़ज़ल
ज़रा हँसकर मुझे ऐ यार केवल शाद कर देना,
लगूँ मैं टूटने तो तुम मुझे फौलाद कर देना ।
अभी हैं चल रही सांसें तुम्हें मैं देख लूं जी भर,
अदा ये रस्म तुम सारी हमारे बाद कर देना ।
सुकूं दे दो हमें अब तुम सुपुर्दे आग ही कर दो,
बहुत अच्छे से आता है तुम्हें बर्बाद कर देना ।
सदा ही झेलती है दर्द यह बस्ती गरीबों की,
यही थी आरज़ू बापू की खुश औलाद कर देना ।
मिलेंगे आपको हर मोड़ पर नखरें उठायेंगे,
जहां भी चाहिए तुमको हमें फरियाद कर देना ।
-श्रीभगवान बव्वा
प्रवक्ता अंग्रेजी, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, लुखी, रेवाड़ी ।