एक ग़ज़ल
एक ग़ज़ल
दूर सदा ही वो रहते हैं,
उनको अपना रब कहते हैं।
बस ग़म की बातों को छोड़ो,
सुख में भी आंसू बहते हैं।
बेशक तेरी बगिया खिलती,
बारिश में घर भी ढहते है।
अक्सर वो ही ग़म देते हैं ,
जिनके खातिर ग़म सहते हैं।
श्री यह तेरा शहर नहीं है,
गांवों में मिलकर रहते हैं।
-श्रीभगवान बव्वा