एक ख्वाहिश
कल तक जो मेरे अपने मेरे लिए मागा करते थे दुआएं
जिनके हर शुकराने में मेरा ज़िक्र हुआ करता था
फ़िर न जाने क्या खता हुई ऐसी
जो “अपनों” ने ही इस तरह कर दिया बेगाना
अरे” हा एक रोज बयां कर दिया वो राज
जो थी मेरे दिल की ख्वाहिश
बेटियों को मिलता नहीं ,खुला आसमान
कुछ इस तरह कर दिया “अपनो ”
ने “अपने” होने का इजहार