एक ख्याल हो तुम
एक ख्याल हो तुम
जो जेहन में है रहता
या हो सवाल जिसका
जवाब नहीं मिलता
शायद ख्वाब हो तुम
मेरी रातों का नसीब
या फिर हकीकत
दिल के बेहद करीब
एक अबूझी पहेली
जो सुलझती नहीं
अनकही बात
तू समझती नहीं
जो भी हो
कुछ खास हो
मेरा अक्स हो
मेरी साॅस में हो
चित्रा बिष्ट
(मौलिक रचना)