एक खास दोस्त
ज़िन्दगी में दोस्त तो कई हैं
पर तुम कुछ खास में से हो
तुम्हारा ज़िक्र आता है पर महफ़िल में नहीं
तुम्हे याद करता हूँ पर सिर्फ तन्हाई में नहीं
तुम साथ रहती हो एक एहसास की तरह
एक अधूरे से ख़्वाब की तरह
कभी कभी दिल ख़ामोश रहता है
लेकिन जाने क्यों जाने क्यों
जब तुमसे बात करता हूँ
तुम्हे याद करता हूँ
कोई फरियाद करता हूँ
ये बेचैन होता है
एक गीत गाता है
ख़ामोश लफ़्ज़ों में
अब तो ये डरता भी है तुम्हे खोने से
अब तो ये रोता भी है