Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jul 2022 · 1 min read

एक क्षण-अलौकिक असामान्य।

अविश्वास के बोझ से दबा हुआ,
था मन मेरा तर्कों का मारा,

फिर हुआ एक क्षण का अनुभव ऐसा,
बह निकली आंखों से अश्रु धारा,

समय तो आकर गुज़र गया,
पर क्षण वो आजीवन ठहर गया,

कुछ तो अलौकिक असामान्य था,
वो क्षण बड़ा ही दिव्य था,

करा गया जाने अनुभूति कैसी,
वो क्षण बड़ा ही भव्य था,

असंभव है विवरण शब्दों में जिसका,
उस क्षण में समा गया जीवन सारा,

ना प्रभु सा लगा ना गुरु सा लगा,
मित्रों सा लगा मुझे क्षण वो प्यारा।

कवि- अम्बर श्रीवास्तव।

Language: Hindi
1 Like · 4 Comments · 141 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं
मैं
Dr.Pratibha Prakash
शुभ होली
शुभ होली
Dr Archana Gupta
पता नहीं किसने
पता नहीं किसने
Anil Mishra Prahari
मत कर ग़ुरूर अपने क़द पर
मत कर ग़ुरूर अपने क़द पर
Trishika S Dhara
" खामोश आंसू "
Aarti sirsat
बीती रात मेरे बैंक खाते में
बीती रात मेरे बैंक खाते में
*Author प्रणय प्रभात*
गुजरते लम्हों से कुछ पल तुम्हारे लिए चुरा लिए हमने,
गुजरते लम्हों से कुछ पल तुम्हारे लिए चुरा लिए हमने,
Hanuman Ramawat
कुछ देर तुम ऐसे ही रहो
कुछ देर तुम ऐसे ही रहो
gurudeenverma198
चन्द्रयान 3
चन्द्रयान 3
Neha
★बादल★
★बादल★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
"लाचार मैं या गुब्बारे वाला"
संजय कुमार संजू
"वाह रे जमाना"
Dr. Kishan tandon kranti
निर्वात का साथी🙏
निर्वात का साथी🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
अनोखे ही साज़ बजते है.!
अनोखे ही साज़ बजते है.!
शेखर सिंह
2964.*पूर्णिका*
2964.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मुमकिन हो जाएगा
मुमकिन हो जाएगा
Amrita Shukla
*घड़ी दिखाई (बाल कविता)*
*घड़ी दिखाई (बाल कविता)*
Ravi Prakash
राम जैसा मनोभाव
राम जैसा मनोभाव
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
अपने किरदार में
अपने किरदार में
Dr fauzia Naseem shad
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
Rj Anand Prajapati
समझदारी का न करे  ,
समझदारी का न करे ,
Pakhi Jain
मुझे न कुछ कहना है
मुझे न कुछ कहना है
प्रेमदास वसु सुरेखा
कोई फैसला खुद के लिए, खुद से तो करना होगा,
कोई फैसला खुद के लिए, खुद से तो करना होगा,
Anand Kumar
শহরের মেঘ শহরেই মরে যায়
শহরের মেঘ শহরেই মরে যায়
Rejaul Karim
हाथ में कलम और मन में ख्याल
हाथ में कलम और मन में ख्याल
Sonu sugandh
घर
घर
Dr MusafiR BaithA
🇭🇺 श्रीयुत अटल बिहारी जी
🇭🇺 श्रीयुत अटल बिहारी जी
Pt. Brajesh Kumar Nayak
किताबें भी बिल्कुल मेरी तरह हैं
किताबें भी बिल्कुल मेरी तरह हैं
Vivek Pandey
सिर्फ दरवाजे पे शुभ लाभ,
सिर्फ दरवाजे पे शुभ लाभ,
नेताम आर सी
रिश्तों से अब स्वार्थ की गंध आने लगी है
रिश्तों से अब स्वार्थ की गंध आने लगी है
Bhupendra Rawat
Loading...