एक कोशिश
एक उद्वेग हृदय में लिए
प्रारम्भ यही से था,
संकल्प शक्ति के लोहे का मज़बूत
जंजीर लिए हाथ में
कोशिश कर रही लिखने की,
कोशिश यह, की सिमट जाएं
जीवन के सारे पहलू
मेरे कविता की आंतरिकता में,
जब भी बैठती हूं
छत के किसी कोने में
व्याकुलता और बढ़ जाती है
संलिप्त होने को
कविता की शून्यता में,
कोशिश रहता है हमेशा
अम्बर की ऊंचाई
या समुन्दर की गहराई को
दर्शा दे
और कोरे कागज को रंगीन बना दें।