एक कुर्सी
घर में परा है एक कुर्सी,
टाँग टूट चुकी है जिसकी;
बैठ नहीं सकता है वह,
किसीको बिठा भी नहीं पाता वह;
उसकी मरम्मत हो नहीं सकती,
उम्र ढल चुकी है उसकी;
सहारा कोई नहीं देता उसको,
शायद उसकी जरूरत नहीं किसीको ।
घर में परा है एक कुर्सी,
टाँग टूट चुकी है जिसकी;
बैठ नहीं सकता है वह,
किसीको बिठा भी नहीं पाता वह;
उसकी मरम्मत हो नहीं सकती,
उम्र ढल चुकी है उसकी;
सहारा कोई नहीं देता उसको,
शायद उसकी जरूरत नहीं किसीको ।