एक किस्सा तो आम अब भी है,
एक किस्सा तो आम अब भी है,
दिल किसी का ग़ुलाम अब भी है।
ये पता है उतर चुका दरिया,
रेत पर कोई नाम अब भी है।।
😘प्रणय प्रभात😘
एक किस्सा तो आम अब भी है,
दिल किसी का ग़ुलाम अब भी है।
ये पता है उतर चुका दरिया,
रेत पर कोई नाम अब भी है।।
😘प्रणय प्रभात😘