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2 Sep 2023 · 2 min read

एक कहानी- पुरानी यादें

विषय – भूली बिसरी यादें

आज हम सभी पुरानी यादें (भूली बिसरी यादें ) ताजा करते हैं हम सभी के जीवन में बढ़े बुजुर्ग बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। दादा- दादी,नाना -नानी और मोहल्ले पड़ोस के बुजुर्ग भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हम सभी के साथ साथ भूली बिसरी यादें ताजा करते हैं। हम सभी जीवन में बस एक यादें रहती हैं।
आओ हम चलते हैं। अपने जीवन की भूली बिसरी यादों के साथ आदित्य दादा जी दादा जी हमें हमें भी अपनी और दादी जी के समय की बातें बताइए हां हां क्यों नहीं दादाजी कहते हैं आओ आदित्य आ जाओ और अपने दोस्तों को भी ले आओ चलो छत पर चलते हैं और छत पर आदित्य और उसके दोस्तों ने एक चटाई और दरी बिछाई उसे पर तकिया लगाए और दादाजी को घेर कर चारों तरफ से बैठ गई और दादाजी शुरू होते हैं बेटे हमारे समय में गिली डंडा, पतंग बाजी और कुश्ती कबड्डी और खो खो के साथ-साथ साइकिल चलाना और ट्यूबवेल में तैरना ऐसे में खेतों में बीज होना हल चलाना जैसे काम करते थे। और हम भूली बिसरी यादों के साथ-साथ आपको बता दें कि पुराने जमाने में ही आज की यादें ताजा करते हैं उसको ही हम भूली बिसरी यादें कहते हैं। और यादों के साथ-साथ हमारे जीवन में रहन-सहन पहनावा भी पुरानी और भूली बिसरी यादों में आता है दादाजी कहते हैं। आपकी दादी जी साड़ी के अलावा कुछ नहीं पहना उन्होंने और लाज और शर्म में घूंघट सर पर पल्लू हमेशा रहता था यही आज की भूली बिसरी यादें हैं और हम सभी एक दूसरे को बड़े का सम्मान करते थे और सुबह शाम राम-राम और मंदिर में मस्जिद में गीत भजन गाना सत्संग करना यह एक परंपरा थी। और आज के समय भूली बिसरी यादों में बस हम सब यही कह सकते हैं कि आधुनिक समय में पुराने समय की बातें हम सब छोड़ते चले जा रहे हैं । जो कि आज की पीढ़ी पर बुरा असर डाल रही है और हम सब लोग सबसे बड़ी बात तुझे है। कि अपने बुजुर्गों का सम्मान नहीं करते हैं।
आदित्य दादा जी और भी कुछ बताइए हां सुनो पहले हम सभी गैस और इलेक्ट्रिक चुल्हे पर रोटी और खाना नहीं बनाते थे। सभी घर में मिट्टी के चुल्हे हुआ करते थे और गाय के गोबर के उपयोग से और लकड़ियों से घर खाना बनता था और सभी घर के सदस्य आदमियों के खाना खाने के बाद तुम्हारी दादी और अन्य सभी बहु बेटियां खाती थी।
भूली बिसरी यादें ताजा हो रही हैं आदित्य अब दादाजी के पैर दबाता हुआ सो रहा है और सभी दोस्त दादाजी के पैर छूकर आशीर्वाद लेकर शुभ रात्रि कहकर अपने अपने घर जाने हैं और कल फिर भूली बिसरी यादें सुनने का वादा करते हैं।

नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

Language: Hindi
1 Like · 389 Views
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