एक कवि हूँ
दुनिया रहती है मस्ती में
और मैं करता हूँ फाका – मस्ती
कवि हूँ मैं
दुनिया जीती है दिखावों पर
पर मैं जीता हूँ यथार्थ में
अभावों मेंI
कवि हूँ मैं
संवेदनशील होना महज एक
दिखावा है यारों
आम आदमी के मन की छवि हूँ मैं
जहाँ न पहुँचे रवि
वहाँ पहुँचने की कड़ी हूँ मैं
बात सब के मन की कहता हूँ
पर अपनी बात मन में दबा रखता हूँ
एक कवि हूँ मैं
जमाने में चाहे जो चलता रहे
सभी के जीवन की छवि हूँ मैंI
– मीरा ठाकुर