एक कवि मन कई वेदना,,
एक कवि मन ,कई वेदना,,
किस किस को हम ताल करेंगे?
कब रक्तों को लाल करें हम?
कब मेंहदी को लाल करेंगे?
एक कवि मन ,कई वेदना………..
कभी धूप से तन जल जाए।
कभी शीत सिरहराएगा।
हम तो हवा को आलिंगन कर
सनन सनन सन ताल करेंगे?
एक कवि मन ,कई वेदना………
एक चमकता सूरज जग में
एक ही शीतल चंदा।
किसे मनोरम कर उर में अब
बोलो हम पाताल करेंगे?
एक कवि मन ,कई वेदना………
बागों में खिलती फूलों को
या मंडराती तितली को?
या जुगनू जो डगर दिखाए
किसकी रंगत हाल करेंगे?
एक कवि मन ,कई वेदना………
एक अनोखी बात देखिए
इक सन्यासी हुआ सियासी।
कोई अर्चन डाल भले लो
तिलक उन्हीं के भाल करेंगे!
एक कवि मन ,कई वेदना………
जिनके बारे में बहुत सुना
वो सत्य अहिंसा से पोषित हैं।
गर हमने चांटा जड़ दी तो
क्या आगे दूजा गाल करेंगे??
एक कवि मन ,कई वेदना………