एक कविता
एक कविता थी मेरे अंदर
मर सी गयी जल्द ही
मैं शब्दों की धूल हटाते
उन्हें खुद से अलग कर गया
तस्वीरों से शब्दों को जोड़कर
कविता तेरी लिख रहा था
कुछ खूबसूरत तस्वीरें थी तेरी
पर तू जल्दी ही चला गया
तस्वीरें मिट गयी, रह गईं बेमतलब
कविता मेरी भी खो गयी कहीं
तो क्यों करूँ रोशन अंधेरों को
शायद तेरी नज़र पायेगा
शब्दों में सजाया प्यार जो पेड़ तले
मैं जाते जाते यूँ ही छोड़ गया
–प्रतीक