एक कप चाय
जब जब तेरी याद आती है
एक कप चाय पी लेता हूँ
फिर मुलाक़ात होगी शायद
यही सोचकर थोड़ा और जी लेता हूँ
बस एक कप चाय पी लेता हूँ
एक धुंधली सी याद है
वो पहली मुलाक़ात थी
एक कप चाय के साथ
कुछ मीठी मीठी बात थी
यूँ तो अन्जान था सब कुछ
हम साथ थे यही बात इत्तेफाक़ थी
लौट आये कभी वो गुजरा जमाना
यही सोचकर थोड़ा और जी लेता हूँ
बस एक कप चाय पी लेता हूँ
चाय की चुस्कियां
तेरी कमी महसूस नहीं होने देती
बस चाय ही है
जो हमें खुद से दूर नहीं होने देती
अब हर प्याले में तेरा चेहरा दिखाई देता है
चाय साथ हो तो लगता है
तू पास बैठा है
इन सर्द हवाओं में
हिचकिओं के साथ
थोड़ा सा और जी लेता हूँ
जब जब तेरी याद आती है
बस एक कप चाय पी लेता हूँ