एक कदम बुराइयों के खिलाफ
क्या खूब है यह दुनिया,
अच्छे लोग हैं पिस रहे,
ईमानदार लोग हैं घिस रहे,
बुरे लोग हैं चैन से जी रहे,
कुछ कहूं भी तो क्या कहूं,
यहां एकता की भी कमी खल रही,
जो है बुरा, वो ले रहा,
आनंद जीवन का पूरा |
बेखौफ मैं दुनिया की अंगारों, जुल्मों से
मैं हिम से भरा नहीं
फिर भी क्रोध छूकर है भाग जाता मुझे,
बुझाना नहीं चाहता मैं अपने क्रोधाग्नि को,
सुलाना नहीं चाहता मैं अपने साहस को,
पर दुनिया में आगे झुकना पड़ जाता है मुझे |
मेरे मन में एक चिंगारी है जल उठी,
मैं चाहता इस चिंगारी को फैला दूं,
पूरे विश्व के कण-कण में,
और मनुष्यों के रग-रग में,
जब चिंगारी जल उठेगी जन-जन में
तब होगा कल्याण विश्व के हर कण-कण में |