Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Feb 2021 · 1 min read

एक ऐसा भी जीवन

जो जीना चाहता है
उसे मौत आ जाती है
जो मरना चाहता है
उसे मर मर कर जीना पड़ता है
यह जीवन दुविधाओं से भरा
पड़ा है
एक ऐसा भी जीवन होता है
जो न जीता है
न मरता है
उसपर न दुआ और
न ही किसी दवा का
असर होता है।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
267 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Minal Aggarwal
View all
You may also like:
"इक दनदनाती है ,रेल ,जो रोज है चलती ,
Neeraj kumar Soni
https://jlfunwin.com/
https://jlfunwin.com/
jlfunwin
इश्क़ का क्या हिसाब होता है
इश्क़ का क्या हिसाब होता है
Manoj Mahato
मेरे वर्णों को नया आयाम दिया
मेरे वर्णों को नया आयाम दिया
Pramila sultan
3048.*पूर्णिका*
3048.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
है कश्मकश - इधर भी - उधर भी
है कश्मकश - इधर भी - उधर भी
Atul "Krishn"
‌‌भक्ति में शक्ति
‌‌भक्ति में शक्ति
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
लड़ाई बड़ी है!
लड़ाई बड़ी है!
Sanjay ' शून्य'
दिलबर दिलबर
दिलबर दिलबर
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
सत्य कुमार प्रेमी
कंधे पे अपने मेरा सर रहने दीजिए
कंधे पे अपने मेरा सर रहने दीजिए
rkchaudhary2012
मुझे अकेले ही चलने दो ,यह है मेरा सफर
मुझे अकेले ही चलने दो ,यह है मेरा सफर
कवि दीपक बवेजा
फैला था कभी आँचल, दुआओं की आस में ,
फैला था कभी आँचल, दुआओं की आस में ,
Manisha Manjari
हमारे तुम्हारे चाहत में, बस यही फर्क है।
हमारे तुम्हारे चाहत में, बस यही फर्क है।
Anand Kumar
ढूंढें .....!
ढूंढें .....!
Sangeeta Beniwal
"सुनहरा दौर"
Dr. Kishan tandon kranti
नहीं-नहीं प्रिये!
नहीं-नहीं प्रिये!
Pratibha Pandey
प्रेम।की दुनिया
प्रेम।की दुनिया
भरत कुमार सोलंकी
परिणति
परिणति
Shyam Sundar Subramanian
मदर्स डे
मदर्स डे
Satish Srijan
..
..
*प्रणय*
पश्चिम हावी हो गया,
पश्चिम हावी हो गया,
sushil sarna
विषय सूची
विषय सूची
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
जो खुद को हमारा
जो खुद को हमारा
Chitra Bisht
'रिश्ते'
'रिश्ते'
जगदीश शर्मा सहज
"कौन अपने कौन पराये"
Yogendra Chaturwedi
कुछ हम लड़के भी है  जो सिर्फ या तो मां के प्रेम के अधीर इतने
कुछ हम लड़के भी है जो सिर्फ या तो मां के प्रेम के अधीर इतने
पूर्वार्थ
जिसे सपने में देखा था
जिसे सपने में देखा था
Sunny kumar kabira
मुझे ख़्वाब क्यों खलने लगे,
मुझे ख़्वाब क्यों खलने लगे,
Dr. Rajeev Jain
आज के दौर में मौसम का भरोसा क्या है।
आज के दौर में मौसम का भरोसा क्या है।
Phool gufran
Loading...