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11 Jun 2023 · 1 min read

मिट जाती है इश्क़ में हर नफ़रत

मिट जाती है इश्क़ में हर नफ़रत दिल से,
ना होती इश्क़ में कोई शिकवा किसी से।

जब सजते है हर रंग प्यार की छाँव में,
तब ये दुनियां लगती है बहारों का मेला।

इश्क की राह में खुशियों के फूल खिलते,
सपने सजते है चाँदनी रातों में मेहबूब के।

बन जाती है तन्हा इश्क़ में ये जिंदगानी,
जब रह जाती है ख्वाहिशें दिल में दबी।

जाती नहीं है तड़प ये इश्क़ की दिल से,
ना जाती है दीवानगी जान देकर कभी।

कौन सी दुनियां है वो बता ए मेरे खुदा,
जहां से सदाएं भी वापस आती नहीं है।

होती मुकम्मल जहां हर मुरादें दिल की,
इश्क में दो दिल जहां कभी बिछड़ते नहीं।

— सुमन मीना (अदिति)
लेखिका एवं साहित्यकार

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