एक एहसास प्यार का
एक एहसास , जो गुदगुदा जाए
एक याद , जो छेड़ जाए
सिहरन सी हो , आंखें चमक सी जायें
क्या है ?
जो सबसे अनोखा है
जो लफ्जों में बयाँ नहीं होता
और आंखों ही आंखों में , हम सब कुछ हार जाते हैं
कशिश है , खलिश है , रुठना है
मनाना है , फिर भी अजीज है !
हर मोड़ पर , हर राह में
उसकी ही आरजू है
हर तपन में , हर तपिश में
उसकी ही छाँव है
हर अड़चन में , हर दोराहे में
उसकी ही आस है
इजहार भी वही है , इनकार भी वही है
आंसू जो भी हों , खुशी या गम
लबों पर नाम वही है
अपने कॉलेज के दिनों के , अनगढ़े सपनों का
साकार रूप भी वही
लरजती आंखों का दीदार भी है
और सपनों का मंजर भी वही है
उन मनचले दिनों की
अधूरी ख्वाहिशों का गुलिस्तां है ।
कोई रंगों का दिन , तो कोई रोशनी का
कोई जन्म का तो कोई मिलन का
आज का दिन
सिर्फ उस एहसास का
जो छेड़ जाए , गुदगुदा जाए
हर वक्त को , जो चांदनी बनाने की कुव्वत रखे
तो चलो सारी नमी पोंछकर
नवरंग से जीते हैं
इस अनकहे एहसास को
यह दिन है
हमारे दिली जज्बात का
जिसके बिना
हर त्यौहार ही फीका हो जाए
तो चलो हो जाये दिल्लगी दिल से ।