एक आंसू
एक आंसू
बहते बहते थक गया एक आंसू
आके गाल पे टिक गया एक आंसू …
कहने लगा दुख की कोई मंजिल नहीं
राहों में ठिठक गया एक आंसू …
काश कोई खुशी मुझे जन्म देती
सोच कर ये चमक गया एक आंसू …
पल्कों ने बहुत रोकना चाहा पर
दुख उफना छलक गया एक आंसू …
– क्षमा ऊर्मिला