एक अलग सी चमक है उसके मुखड़े में,
एक अलग सी चमक है उसके मुखड़े में,
देखते ही मन बहल सा जाता है ;
कहते सब उसे फलक का चांद है।
पर नूर का झरना दिन चढ़ते ही,
आसमां की गर्दिश में ढल जाता है।
एक अलग सी चमक है उसके मुखड़े में,
देखते ही मन बहल सा जाता है ;
कहते सब उसे फलक का चांद है।
पर नूर का झरना दिन चढ़ते ही,
आसमां की गर्दिश में ढल जाता है।