एक अरसा हो गया गाँव गये हुए, बचपन मे कभी कभी ही जाने का मौका
एक अरसा हो गया गाँव गये हुए, बचपन मे कभी कभी ही जाने का मौका मिलता था, क्योकी पापा का जॉब और हमारी पढाई ने हमें अपनों से और अपने गाँव से दूर कर दिया अब जब बडे हुए तो सफल होने के संघर्ष ने और असफल रहने के लज्जावश गाँव नहीं जाते है और जब कही सफलता हाथ लगीं भी तो वही पापा वाली हालत की जॉब की टेंशन और बच्चों की पढाई की वजह से फिर गावँ नहीं जा पायेंगे ये सिलसिला चलता रहता है पीढ़ी दर पीढ़ी और हम कभी उस जगह का हिस्सा नहीं हो पाते जो हमारे अतीत का अहम हिस्सा होता है…
खैर सच कहूँ मन सबका होता है पर हालात कभी सगे नहीं होते वो आप को पिसते रहते है जिम्मेदारीयों मे, अलग अलग दौर मे और उम्र के पडाव मे और हम एक कठपुतली से ज्यादा कुछ नहीं……