“एक अजीब सी कशिश है उसकी आँखो में,”
एक अजीब सी कशिश है उसकी आँखो में,
जो ना चाहते हुए भी उसकी और खिंचा जाता हूं।
पढ़ना चाहता हूं उसकी आँखो को बहुत ध्यान से,
पर अक्सर उन में ही डुब जाता हूं।
एक अजीब सी कशिश है उसकी आँखो में,
जो ना चाहते हुए भी उसकी और खिंचा जाता हूं।
एक अजीब एहसास है उसके साथ,
लेकिन उस से कुछ कह नहीं पाता हूं।
एक अजीब सी कशिश है उसकी आँखो में,
जो ना चाहते हुए भी उसकी और खिंचा जाता हूं।
उसकी मुस्कान में एक अजीब सी उदासी है,
जो रह रह मुझे तकलीफ़ पहुंचती हैं।
पता नहीं कौन सा रिश्ता है उसके साथ,
जो हर बार उसकी गली से गुजरते ही ठहर जाता हूं।
एक अजीब सी कशिश है उसकी आँखो में,
जो ना चाहते हुए भी उसकी और खिंचा जाता हूं।
तुम कुछ कह दो मुझसे पहले,
यही सोच कहते कहते ,मै हर बार चुप हों जाता हूं।
एक अजीब सी कशिश है उसकी आँखो में,
जो ना चाहते हुए भी उसकी और खिंचा जाता हूं।