*एक अखंड मनुजता के स्वर, अग्रसेन भगवान हैं (गीत)*
एक अखंड मनुजता के स्वर, अग्रसेन भगवान हैं (गीत)
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एक अखंड मनुजता के स्वर, अग्रसेन भगवान हैं
1)
भेदभाव की रीति न जग में, अग्रसेन को भाई
जन्माधृत मानव-मानव में, पाटी चौड़ी खाई
कहा राज्य-अग्रोहा में सब, वासी एक समान हैं
2)
बॅंटे नहीं थे अग्रोहा में, अब अट्ठारह कोष्ठक
गोत्र अठारह बने कार्य यह, हुआ नहीं जो अब तक
दिखते अलग गोत्र बाहर से, लेकिन एक्य प्रधान हैं
3)
यज्ञों के पावन विधान से, नूतन गोत्र रचे थे
अब इनमें कब भेदभाव के, किंचित अंश बचे थे
अग्रवाल का अर्थ एकता, समता के गुणगान हैं
एक अखंड मनुजता के स्वर, अग्रसेन भगवान हैं
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451