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6 May 2024 · 1 min read

“एकान्त चाहिए

“एकान्त चाहिए”

वक्त के आधुनिकीकरण में
रहकर अपने दिमागी संताप को
भूलने खातिर इस मन को
शान्ति खातिर एकान्त चाहिए

खाना छोड़ में. नीर के दम पर
दिन गिना रहा में दीन बन कर
अकर्म की चौखट पर पाव अपना धर कर
कह रहा खुद से मुझे एकान्त चाहिए

घबरा रहा मै मानवता के महां प्रयाण से
घबरा रहा मै देख दानवता के विकराल से
खामोश होकर सोच रहा मुझे क्यो एकान्त चाहिए

सान्तवना दे मैं खुद को .
एहसास प्रेम से परे पाकर खुद को
सुद देने रोज रोज बनकर उसको सुना रहा
जोर से मुझे एकान्त चाहिए

किसी अपने की प्रतीक्षा में गुरु बन शान्त रहे –
शिक्षा में चाहिए ना मुझे ना सोने-चांदी ‘ना. सुन्दर कन्या
बस बिजी रहना मुझे अपने ही हाल में शांत चित्त खातिर एकान्त चाहिए तेरी ही दीक्षा में

Language: Hindi
96 Views
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