एकाकार
ब्रह्माण्ड तो मन में है
और मुठी खाली है
रोक ले इस पल को
जो शांति प्रदाता है !
आरम्भ शून्य से
समाप्ति शून्य में
मध्य में यदि चाहे
तो अनुभव से आगे निकल
हो जा कुछ पल एकाकार
ब्रह्मांड से !
शशि महाजन-लेखिका
ब्रह्माण्ड तो मन में है
और मुठी खाली है
रोक ले इस पल को
जो शांति प्रदाता है !
आरम्भ शून्य से
समाप्ति शून्य में
मध्य में यदि चाहे
तो अनुभव से आगे निकल
हो जा कुछ पल एकाकार
ब्रह्मांड से !
शशि महाजन-लेखिका