एकांत…
एकांत…. माँ-पापा के साथ बिताए समय के बाद मेरा सबसे प्यारा समय जो है वो यही एकांत है। मुझे हमेशा से एकांत में रहना पसंद है। ऐसा नहीं है कि मैं दोस्तों के साथ नही रहता या पार्टीज नही करता या भीड़ भाड़ वाले जगह से एलर्जी है पर यूँ ही किसी अनजान सी गलियों में अकेले निकल जाना अच्छा लगता है। मेरे लिए एकांत का मतलब अकेले कमरे में बंद होना या दुनिया से कट जाना नही है मेरे एकांत का मतलब है अकेले अंजान गलियों में चक्कर लगाना या कही नही के किनारे बैठ जाना या कही पहाड़ के ऊपरी भाग पर बैठकर प्रकृति को महसूस करना। पहाड़ों, पेड़ों, नदियों, झाड़ियों में ऐसा खो जाना की उन्ही का एक अंग हो। जैसे एक पेड़ चुपचाप खड़ा होता है अपनी जगह पर जैसे नदियां मीठी सरगम के साथ बहती रहती है। जैसे पंछी अपने ही धुन में मग्न होते हैं बिना किसी झिझक के। मेरा पसंदीदा जगह है राइन नदी । मैं जब वहां होता हूँ तो घर की याद, परिवार की याद, अंदर के शोरगुल, बाहर के शोरगुल सब भूल जाता हूँ और उस नदी में ऐसे खो जाता हूँ जैसे हवा का झोंका आती है और शरीर को महसूस होकर अनन्त में खो जाती है। कोई पानी का जहाज आता है और दूर अपने सफर पर चला जाता है। मैं यहाँ अच्छा लिख सकता हूँ, अच्छा सोच सकता हूँ और ये मेरे लिए बेहतर है। धन्यवाद
…rana…©