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28 Apr 2020 · 1 min read

एकांत में उदासीन

*****अकेले में उदासीन*****
************************

जिन्दगी में मौसम मस्ताना देखा
प्रेम में दिलदार दीवाना देखा

जब जब वो मेरे जीवन में आए
आने से पहले ही जाना देखा

बागों में फूल खूब खिलने लगे
खिलने से पहले मुरझाना देखा

जैसे जिन्दगी में मुस्कराने लगे
मुस्कराने से पहले रोना देखा

नभ में काले बादल तो छाये थे
वर्षण से पहले छंट जाना देखा

रूप यौवन तो बावरा सा आया
चढ़ने से पहले ढ़ल जाना देखा

सुखविन्द्र अकेले में उदासीन है
एकांत में था घबरा जाना देखा
************************

सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली ( कैथल)

1 Like · 421 Views
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