एकांकी नाटक – सफलता ( शिक्षक )
एकांकी नाटक – सफलता ( शिक्षक )
( दो – छात्र आपस में बातचीत कर रहे है – हमारे शिक्षक हमें रोज – रोज बहुत पाठ रटाने देते है , प्रोजेक्ट सामग्री व् पाठ टिपकर लिखने देते है , क्यों न हम पाठ को न समझते हुए रटकर जैसे अच्छे मंत्रवक्ताओ के समान और इंटरनेट , गूगल से ही प्रोजेक्ट वर्क सर्च करके तैयार प्रोजेक्ट रिपोर्ट दे )
छात्र १ – बहोत मेहनत करके , रातभर जागकर एव रटकर सम्पूर्ण पाठ याद किया है |
छात्र २ – मैंने भी सम्पूर्ण जानकारी गूगल से सर्च करके , जुगाड़ लगाकर संग्रहित कर टिपकर
तैयार कर लाया हूँ |
शिक्षक – आज किस ने अच्छे से सम्पूर्ण पाठ याद किया है , छात्र १ बताओ ?
( छात्र मंत्र उच्चारण के समान पाठ सुनाना )
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटिसमप्रभ
निर्विघ्न कुरु में देव सर्वकार्यषु सर्वदा |
गुरु ब्रहमा , गुरु विष्णु , गुरु देवो महेश्वरा ,
गुरु साक्षात् परब्रह्मा ,
तस्मयी श्री गुरुवे नमः ||
बलबुद्धि विद्या देहु मोहि ,
सुनहु सरस्वती मातु |
राम सागर अधम को
आश्रय तू ही देदात ||
जीवन में सत्य की राह बहुत कठिन है , इस संसार में सबको निंदा आलोचना से
गुजरना पड़ता है | आलोचना से कभी भी बच नहीं सकते , सत्य की राह पर
चलने वाले को कदम – कदम पर खतरों का सामना करना पड़ता है | अपनी जान
गवाना पड़ती है | आप सत्य हो , और सत्य से किसी का अच्छा कर के दे रहे
हो , तभी आप निडर होकर , निश्चित होकर अपना कार्य करते रहो , आप कितनी
भी लोक निंदा , कितने भी लांछन , कितने ही आरोप क्यों ना हो आप अपने
सत्य मेहनत में विश्वास रखकर कार्य करते रहो | सत्य मेहनत की सफलता
आपके साथ हमेशा रहती है | अच्छी प्रार्थना सैदेव आपके मन को प्रसन्न रखती है |
शिक्षक – वाह ! वाह ! अदभूत !
छात्र २ – गूगल से सर्च करके जानकारी हासिल कर जैसे लिखा था , वैसा ही टिपकर व् रटकर लाया हूँ सर ,
परन्तु पाठ को समझने की व् उसे वैज्ञानिक कसौटी पर तौल कर नहीं देखा सर ….
शिक्षक – बहुत अच्छा , बहुत अच्छा …. टिपकर जानकारी …
( शिक्षा प्राप्त होने के बाद … )
आदमी – छात्र से – इंजीनियर साहब , इंजीनियर साहब घर का नक्शा बनाकर दीजिये |
इंजीनियर – इंजीनियर घर का नक्शा न बनाकर , कुटिया का नक्शा बनाकर लाते है |
छात्र – – डॉक्टर साहब , डॉक्टर साहब , मुझे बुखार , सर्दी व् ख़ासी हुई है |
डॉक्टर – डॉक्टर इलाज न करते हुए स्टेटस्थास्कोप उल्टा पकड़ते है |
डॉक्टर – डॉक्टर गोली – दवाई न देते हुए रम देते है |
डॉक्टर – यही अच्छी सायरप है , जल्दी ठीक होंगे |
छात्र – इंस्पेक्टर साहब , इंस्पेक्टर साहब हमारे यहाँ चोरी हो गयी है |
इंस्पेक्टर – इंस्पेक्टर चोर को न पकड़ते हुए सन्यासी (साधु ) को पकड़कर लाती है |
छात्र – हमारे सामने माननीय कवि महोदय अपनी स्वय की रचना पाठ करेंगे |
कवि – ( कवि कविता न पढ़कर रोचक घटना सुनाता है )
एक गांव में बकरी चराने वाला भोला – भाला दिखने वाला लेकिन बुद्धि से हुशार , चालाक , बालक रहता था |
वह बड़ा बातूनी था | रोज की तरह बकरिया चराने गांव के नदी – नाले पार करते हुए जंगल की और जाता था |
उसका रोज का कार्य था | गांव के सभी लोग बालक का विश्वास करते थे क्योकि सभी गांव के बकरिया जंगल से
चरवाह के लाता था | गांव के लोगो की जीवन की गाड़ी चलाता था |
बालक बड़ा शरारती था | वह लोगो को बड़ी – बड़ी बातूनी बातो से , नये – नये वादों से , आभासी योजनाओ से
चने के झाड़ पर चढ़ाने की योजनाओ का बखान करता था |
एक दिन अचानक जंगल की और से शेर आ गया और एक बकरी को उठाकर ले गया | बालक ने बाकि बकरिया को और अपनी जान शेर के चुंगल से बचाकर गांव की और लेकर आ गया | गांव वालो को बढ़ा – चढ़ाकर बताकर कैसे शेर के चुंगल से बचाकर सभी की बकरिया लाया हूँ | सभी गांव वालो का विश्वास हो गया की बकरी चराने वाला विश्वासु है |
फिर के दिन अचानक उसने ” शेर आया , शेर आया ” …. जोर … जोर से चिल्लाने लगा | गांव के लोग सैराट जंगल की और दौड़ने लगे , शायद बकरी वाला परेशानी में हो … गांव वाले आकर देखते है तो किसी प्रकार का जंगली जानवर नहीं है , शेर नहीं है और बकरिया आराम से पेड़ – पौधे की पत्तियाँ खा रही थी | ऐसा बकरी वाले ने तीन – चार बार किया | उसे बड़ा मजा आया , गांववालों का , मुझ पर गांववाले कितना विश्वास करते है ? वह बहोत खुश हो रहा था |
लेकिन एक दिन रोज की तरह बकरिया चराते हुए दूर जंगल चला गया और अचानक शेर आ गया , बकरियों पर
झड़प लगाकर बकरियों को घायल करके खाने लगा | शेर को हिंसक देखकर चरवाह ने गांव की और दौड़ लगाई और बहोत बहोत – बहोत जोर – जोर से चिल्लाने लगा ” शेर आया , शेर आया ” किसी ने भी एक बार भी उसके बातो पर ध्यान नहीं दिया , और एक भी आदमी उसके मदद के लिए नहीं गए , उसके बातो , आवाज़ पर और चिल्लाने पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया | गाववालो को समझ आ गया इसबार भी बकरी चरवाह लड़का हम सभी गांववालों को बेवकूफ बना रहा है , जरूर उसकी शरारती हरकत है , चिल्लाने दो |
फिर एक दिन बालक रोते-रोते मासूम सा चेहरा लेकर गांव वाले के पास बकरिया लिए आ गया था | बोलने का कुछ भी साहस नहीं था | सभी गांव वाले बोलने लगे कभी भी किसी को भी बेवकूफ बनाना नहीं चाहिए , सभी का भरोसा रखना चाहिए , किसी भी वक्त कुछ भी हो सकता है | बुरा वक्त बताकर नहीं आता है और सभी को परेशानी दुःख झेलना पड़ता है |
शिक्षक – ( परेशान होकर ) अब क्या किया जाए ?
आज हमें इस रोज – रोज के रटत होमवर्क ,बिना मेहनत प्रोजेक्ट कार्य से ऊब चुके है | हमें
मेहनत से किया गया शोधपरक , तत्त्यपरक व् अनुभव आधारित शिक्षा की जरुरत है | कौशल्य
विकास , प्रायोगिक व् वैज्ञानिक शिक्षा की बहुत जरुरत है , तभी सफलता निश्चित है | सही
जगह मेहनत की आवश्यकता है |
सभी छात्र – पार्थना करते हुए ( एक साथ गाते हुए )
सही जगह की मेहनत बिना ना रौशनी
मेहनत बिना ना ज्ञान
मेहनत बिना अधूरा संसार
अनुभव चाहिए ,
हीरों को तराशने के लिए
अनुभव चाहिए प्रकृति को सींचने के लिए
अनुभव चाहिए दुसरो को सवांरने के लिए
अनुभव चाहिए दुसरो को चरित्र गढ़ने के लिए
अनुभव चाहिए दुसरो को नैतिक शिक्षा देने के लिए
आज के युग में द्रोणाचार्य चाहिए अर्जुन के लिए
आज के युग में द्रोणाचार्य चाहिए एकलव्य के लिए
इसलिए –
अनुभव की महिमा अपरंपार
मेहनत वाक्य सफलता
मेहनत के बताए मार्ग चले
यही है ” सफलता ”
*** @ कॉपीराइट – एकांकी लेखक – राजू गजभिये