एकलव्य-सा
एकलव्य-सा
विद्यालय में प्राचार्य ने वार्षिक परीक्षा का परिणाम सुनाया। एक-एक करके सभी कक्षाओं का परिणाम सुनाया।
साधारण छात्र पास या फेल का परिणाम सुनकर उत्साहित या उदास हो गए।
कुशाग्र बुद्धि छात्र प्राप्तांक और कक्षा में कौन प्रथम रहा, कौन द्वितीय स्थान पर, यह जानने के लिए अधीर थे।
प्राचार्य ने सभी कक्षाओं में प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं के नाम की घोषणा की। उनके प्राप्तांक भी बताए।
प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं के नाम सुनकर सोमवीर आवाक रह गया।
क्योंकि उसकी नौंवी कक्षा में प्रथम तानिया और द्वितीय सोमवीर बताया गया।
रोते-रोते सोमवीर कहने लगा, हमारी कक्षा में तो तानिया नाम की कोई छात्रा है ही नहीं।
पास बैठे अजय ने सोमवीर को बताया कि तानिया प्रिंसीपल सर की लड़की है।
जो पढ़ती तो प्राइवेट स्कूल में है। नाम अपने स्कूल में चल रहा था।
सोमवीर को लगा परिणाम सुनाने वाला प्राचार्य ही कुख्यात द्रौण है। खुद उसे एकलव्य सा प्रतीत हुआ।
-विनोद सिल्ला