एकमात्र सत्य
असत्य और सत्य
अज्ञान और ज्ञान
नफरत और प्रेम
कमजोर वा प्रबल
.
द्वंद्व वा द्वैत.
ये ही तो वो दो छोर है.
इस और हैं
या उस उस ओर है.
इनके बीच ही व्यवहार
की दौड़ है.
मालूम तुझे नहीं.
बोझ किसी और पर है.
जानते हम नहीं
देखता कोई और है.
इसी जद्दोजहद में
खोज ले
तेरी खुद की पहचान क्या है.
वैद्य महेन्द्र सिंह हंस