” सैनिक का दुश्मन को सन्देश “
“ठंडी राख समझना ना हम अंगारो के गोले हैं,
लपटों में जल जाओगे हम वो बारूदी शोले हैं,
ख़ौफ़ नही है तनिक हमें विध्वंसक हथियारों का,
इरादे समझ चुके हैं बेहतर तुम जैसे मक्कारो का,
सीने पर बंदूक चलाए, ऐसी तेरी औकात कहाँ?,
गर्व करें निज देश पे तू, है ऐसी कोई बात कहाँ?
अमन के शब्दों को समझे ऐसे तेरे जज़्बात नहीं,
शेरों के घर तक फिर पहुँचे,अब ऐसे हालात नहीं,
तुझ जैसे गीदड़ हमको जब भी आँख दिखाते हैं,
पतन तेरा करने को हम महाकाल बन जाते हैं,
शेरो के हम वंशज सारे, सुन यह बात बताते हैं,
मार झपट्टे खाल बदन से खींच ज़मीन पर लाते हैं,
राष्ट्र की रक्षा में हँस कर हम अपना शीश चढ़ाते हैं,
गर्व करें भारत मैया हम ऐसे फ़र्ज़ निभाते हैं,
तुझ जैसे ग़द्दारों से, हम कभी नहीं घबराते हैं,
सर्पों के फन कुचल कुचल कर, हाथों में लहराते हैं,
ज्वाला सी है तपिश हमारी, हाथ फ़ौलाद हमारे हैं,
मातृभूमि पर मिटने वाले, शूरवीर मतवाले हैं,
आँख मिचौली बन्द करो, खौफ़ नहीं हमें बिल्ली से,
इक पल में ही चीर दिया आज़ादी मिलते दिल्ली से,
सरहद है महफूज हमारी, देश के वीर जवानों से,
लिखते है इतिहास नया ,नित अपने बलिदानों से,
भूलो ना करगिल की बातें इसीलिए दोहराते हैं,
दूर रहो तुम घाटी से फिर तुमको समझाते हैं,
हश्र की हमको फिक्र नही जब भी हम शस्त्र उठाते हैं,
सौ -सौ पर देखा है तुमने इक भारी पड़ जाते हैं,
गंगा जमुनी तहजीब हमारी ,सारे जग से न्यारी है,
मर्यादा भारत माता की , जान से ज्यादा प्यारी है,
गर्व और उत्साह से मिलकर, राष्ट्रध्वज फहराते हैं,
सकल विश्व को भारत माँ का, हम जयघोष सुनाते हैं।