एंकर सुख!
कितना सुकून है एंकर होने में,
कितना सुख है एंकर बनने में,
हर रोज टीवी पर दिखने को मिलता है,
अच्छा होवे या बुरा घटे, अपने चश्मे से दिखाने को मिलता है,
कोई सहमत हो या हो असहमत,
अपनी सियत (स्वास्थय) पर क्या फर्क पड़ता है,
एंकर बनने में कितना सुख मिलता है!
सच को झूठ बनाना आता है,
बार बार कह कर समझाना आता है,
कोई ना माने जो हमारे कहे को सच,
तो हमें उसे उसकी औकात दिखाना आता है!
चौथा खंभा हमको माना है,
हमको ही तो वह सब बताना है,
जो यह तीन खंभे करते हैं,
कैसे-कैसे रंग बदलते हैं,
जो यह सीधी उंगली से मान जाएं,
तो हम इनके दिन-रात गुण गाएं,
यदि यह हमें हेकड़ी दिखाएं,
तो हम भी इनके कच्चे चिठ्ठे खोलते आएं!
कौन है जो हमसे टकराएं,
हम सबकी सिटी-पिटी गुम कर जाएं!
हां कभी कभार हमको भी गुरु मिलते हैं,
वो हमसे जो चाहे वह कर निकलते हैं,
और तब हम भी कुछ समझौता कर लेते हैं,
वो हमको विज्ञापन और बल देते हैं,
तो हम भी उनके ही अनुसार चल देते हैं,
आखिर हमको भी तो परिवार पालना है,
अड कर क्या अपने बच्चों को मुसीबत में डालना है,
इस लिए वो जो चाहते हैं,
हम वो करते हैं,
असली मुद्दों पर हम ध्यान नहीं देते हैं,
उन मुद्दों को हम आगे बढ़ने नहीं देते हैं,
जिनसे हमारे रहनुमाओं को परहेज है,
हम इसके लिए दूसरे मुद्दे गढ़ लेते हैं,
हम जो चाहें वो कर लेते हैं!
हमसे टकरा कर कोई क्या कर लेगा,
हमसे टकरा कर सुर्खियों में कैसे रहेगा,
हमने यह कर दिखाया है,
कैसे हमने उन्हें आइना दिखाया है,
हम ही तो थे, जिन्होंने हज़ारे को अन्ना बनाया,
हम ही तो थे जिन्होंने निर्भया को न्याय दिलाया,
हम ही तो थे, जिन्होंने अरविन्द को केजरी बनाया,
हम ही तो हैं जिन्होंने रामदेव को योगगुरु बनाया,
और हम ही तो हैं जिन्होंने राहुल को पप्पू बताया,
हम से टकरा कर जिन्होंने सब कुछ गंवाया,
जो हमसे ना टकराते,
तो आज यह दिन देखने को नहीं पाते!
हम ही हैं जिनसे अच्छे-बुरे सब भय खाते हैं,
हम ही हैं जो कुछ भी कर के दिखा सकते हैं,
हमने ही बिना अदालत के ही रिया को जेल भिजवा दिया,
हमने आत्म हत्या को हत्या बता दिया,
हमने करोड़ों का घोटाला दिखा दिया,
हमने ही नशीली दवाओं के करोबार को सामने ला दिया,
हम ही हैं जिन्हें सब अधिकार हासिल हैं,
नैतिक-अनैतिक सब सर्वाधिकार हासिल हैं!
हम चाहें तो धर्मनिरपेक्षता को पंथनिरपेक्ष में बदल दें,
हम ही हैं जो मनुष्यों को खेमों में बांट दें,
जात पात से लेकर, ऊंच-नीच तक,
अमीर से लेकर गरीब तक,
औरत से लेकर मर्द तक,
हिंदू, मुस्लिम से लेकर ईसाई-सिख तक,
जैनियों से लेकर बौद्ध धर्म तक,
हर किसी में मतभेद करा सकते हैं,
हम चाहें तो मिल मालिक को श्रमिकों को लडवा दें,
हम चाहें तो सैनिक को अधिकारियों से भिड़ा दें,
हम ही हैं जो किसान को आढ़ती से उलझा दें,
हम हर जगह व्याप्त हैं,
हम हर समस्या को सुलझाने व उलझाने में प्रर्याप्त हैं,
हम अपनी डिबेट में जो चाहें चला सकते हैं,
हम चाहें जिसे कम-ज्यादा दिखा सकते हैं,
हम एंकर है सबसे सुखी इंसान हैं,
हम एंकर हैं सर्वशक्तिमान हैं!!