ऋषिकेश
सुबह के 7:00 बज चुके थे और मैं अभी भी गंगा तट पर एकान्त बैठा था। रोज की ही तरह आज गंगा मैया शांत थी। ना कोई लहर ना कोई कलरव, चारों तरफ शांति । जैसे पनघट पर स्त्रियां आती है ऐसे ही कुछ छोटे-छोटे पक्षी गंगा तट पर उछल खुद करते हुए उड़ जाते और फिर वहीं पर आ जाते । सूर्य उदय तो हो चुका था लेकिन अभी भी सामने मणिकूट की पहाड़ी पर सूर्य नहीं निकले । आसमान एकदम साफ , कुछ पक्षी गंगा जी की ऊपरी सतह पर उड़ रहे हैं । और दिनों की भाँति आज भोर बहुत ही सुंदर थी । मैं आज ताजी हवा में अपनी सांसो को महसूस कर रहा था। मेरा मन शांत बह रही गंगा की तरह था । मेरा स्वर उड़ते हुए पक्षियों की तरह था और गंगा तट पर उछल कूद करते नन्हे पक्षियों में मैं खुद को देख रहा था ।
ये नील गगन, उमड़ते-घुमड़ते मेघ, और मणिकूट पर्वत मानो ऋषिकेश के मस्तक पर मुकुट के समान ।
ऋषि रैभ्य की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने हृषिकेश के रूप में उन्हें दर्शन दिया इसलिये इस शहर को ऋषिकेश कहा जाता है ।
एक तरफ़ टिहरी और पौड़ी की सीमाओं को जोड़ते राम लक्ष्मण झूला पुल । इनके नीचे से गङ्गा मौन होकर गुजरती है । यह आपके और हमारे देखने से पुल हैं लेकिन वास्तव में यह पौड़ी और टिहरी का आपसी मिलाप है । और वानर सेना तो इन पुलों की शान है । इनकी उछल कूद और शैतानियों से यात्रियों का काफी मनोरंजन होता है ।
तीर्थनगरी होने के कारण पूरा ऋषिकेश मन्दिर की शंख घण्टियों से गूंजता रहता है । यहां 8 बजे तक वृक्ष, पौधे खूब झूमते हैं । लेकिन जैसे ही इनकी नज़र सूर्य पर पड़ती है ये सहम जाते हैं । ईधर रामेश्वर मन्दिर में लोगों का सुबह की उपस्थिति देना शुरू हो जाता है ।
गाय के बछड़ो की कमर और गले में हाथ फेरना मुझे बहुत प्रिय है । और दोबारा हाथ न फेरो तो ये मारने लगते हैं । बहुत जिद्दी होते है लेकिन बहुत प्यारे भी । शायद ही इतना वात्सल्य अन्य किसी जीव से मिलता होगा । 13 मंजिला हो या भूतनाथ मन्दिर अपनी विशालता से हर दर्शक का मन मोह लेते हैं ।
यहां हर घर हर गली में हर एक बच्चा योगगुरु है । इसीलिए तो ऋषिकेष World Capitel of Yoga के नाम से जाना जाता है ।
मुझे नही लगता दुनिया में इतना शांत शहर कोई हो । अगर यहाँ गङ्गा मैया नहीं होती तो शायद देश विदेशों से इतने पर्यटक यहाँ कभी न आते । यहाँ छोटे से छोटे और बड़े से बड़े आदमी पर गङ्गा मैया की कृपा है । हमारी तो दिन की शुरुआत ही गङ्गा मैया के दर्शन से ही होती है । हमारे लिए गङ्गा सिर्फ नदी नही है, गङ्गा हमारी आराध्य है, विश्वास है, आस्था है, तीर्थ है और सनातन की धरोहर है ।