ऋतु
युगों युगों से सुनते आये
सबकी वही कहानी है l
सुख की सर्दी दुःख की गर्मी
दो ऋतु आनी जानी है l
जीना इसी धूप छाँव में
क्यों दुविधा , किसकी चिंता
रख अंकुश चंचल मन पर
जीवन बहता पानी है