ऊपर
आज मैं ऊपर हूं
मेरे पंख लौटा दो मुझे
कहते थे तुम
उड चलो कहीं
बढ़ो तुम भी
विचरण करो
मेरे संग
तुम्हें पंख मिलेगा
आज मैं ऊपर हूं
मेरे पंख लौटा दो मुझे
मुझे क्यों लगता है
सब नीचे हैं
अब मुझे कोई देख नहीं सकता
मैं ही सबसे ऊपर हूं
अब बहुत उड़ चुका हूं
आज मैं ऊपर हूं
मेरे पंख लौटा दो मुझे
तुम सब नीचे हो
दूर रहो मुझसे
लघु तुम दीर्घ हम
मैं बदल चला हूं आज
सबसे अलग
चूंकि
आज मैं ऊपर हूं
मेरे पंख लौटा दो मुझे
मनोज शर्मा