ऊपर से मुस्कान है,अंदर जख्म हजार।
ऊपर से मुस्कान है,अंदर जख्म हजार।
फिर भी जालिम ज़िन्दगी, नहीं मानती हार।।
नहीं मानती हार,खेल है सब किस्मत का।
किसने पाया पार,खुदा तेरी रहमत का।
खुशी मिले या दर्द,ज़िन्दगी जीना हँसकर।
दंड और प्रचंड,छोड़ दे प्रभु के ऊपर।
-लक्ष्मी सिंह